Sunday, May 8, 2011

सोचता हूँ ...[sochta hoon]

'मुरीद ' किसी पत्थर की मूरत को राज़ -दार कर ले
दूसरा हर खुदा तुझे धोखे में रखता है .........[गुर्ब्रिंदर]


इसी एहसासे जुर्म में जलता है 'मुरीद ' आज ,
छीना खुदा किसी और का अपना पाने के लिए .......[गुर्ब्रिंदर ]


नाचता है 'मुरीद ' सुबह शाम जिस की ताल पे
पूरा लुत्फ़ लेता है वो खुदा उसके हाल पे ....(गुर्ब्रिंदर)


और क्या सबूत दे तेरे हुस्न का 'मुरीद '
फिजा भी रंग बदलती है मिजाज़ तेरा देख कर...[गुर्ब्रिंदर ]


मुश्किल से वो किसी एक ही बादल से घिरता है
वो तो चाँद है 'मुरीद' चांदनी लुटाता फिरता है ...[गुर्ब्रिंदर]


प्यार जिसे हक से माँगा था 'मुरीद '
जब भी मिले तो वो खैरात में मिले
सेहरा में ढूंढता था मैं जो सागर
वो नखलिस्तान [oasis] मिले तो बरसात में मिले ......[गुर्ब्रिंद
र ]


मांगते हो जो प्यार तुम उस खुदा से 'मुरीद '
वोही प्यार उस्सने तुम्हारे दिल में छुपा रखा है ....[गुर्ब्रिंदर ]


बैठा है इंतज़ार में उस सुबह की 'मुरीद ',
जब चाँद मद्धम न हो सूरज की रौशनी में .....[गुर्ब्रिंदर ]


होंसले कुछ ऐसे रखता है जिगर में 'मुरीद '
के सूरज की पीठ के पीछे भी जोर से बोलता है .....[गुर्ब्रिंदर]


सोचता था 'मुरीद ' के मौसम निकल गया बारिशों का ,,
न जाने कहाँ से पलकें घटा बन कर फिर बरसने लगी ....[गुर्ब्रिंदर ]


अब क्या पछताना किसी के काटने पे 'मुरीद ' ,,
पाँव दम पे रखोगे तो कुत्ता कोई चाटता नही ........[गुर्ब्रिंदर ]


बहलाते हैं मन अपना जो किसी चाँद की बात करते हैं ,,
'मुरीद ' तेरे महबूब की चमक से नावाकिफ है जहाँ अब भी ...[गुर्ब्रिंदर ]




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